हिंदी विभाग परिचय: झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय में हिंदी विभाग की स्थापना 18 जनवरी 2018 को हुई। माननीय कुलपति प्रो. नन्द कुमार यादव ‘इन्दु’ जी को हिंदी विभाग की स्थापना का ऐतिहासिक श्रेय जाता है। हिंदी भारत की राजभाषा अस्मिता के स्तर पर राष्ट्रभाषा और प्रचलित संदर्भ में संपर्क भाषा और समूचे विश्व की प्रमुख भाषाओं में से एक है जो राष्ट्र की संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती है। आज विश्व के अधिकतर शैक्षणिक संस्थानों में हिंदी भाषा में अध्ययन एवं अध्यापन का कार्य किया जा रहा है। विश्वविद्यालय का यह नवनिर्मित विभाग हिन्दी भाषा एवं साहित्य के उत्थान को लेकर कृत संकल्पित है और अपने बहुआयामी उदेश्य को लेकर कटिबद्ध है। |
दृष्टि:
साहित्य की संस्कृति, चिंतन की मौलिकता, रचनात्मकता का भरोसा, अभिव्यक्ति में तार्किकता के साथ विनयशीलता और सामाजिक दायित्व की पहचान को मनुष्य होने की यात्रा से जोड़ने का संकल्प लेकर विभाग को स्थापित किया गया है और इसे ध्येय बनाकर लक्ष्य में परिवर्तित करना ही काम्य है।
उद्देश्य:
विभाग का उद्देश्य छात्रों एवं शोधार्थियों में साहित्य एवं समाज के प्रति उत्तरदायी एवं मानवीय मूल्यों का विकास करना है। ज्ञानार्जन के अतिरिक्त रोजगार की दृष्टि से कौशल विकसित करना प्रमुख है। साहित्यिक शोध, भाषा शिक्षण, अनुवाद, विदेशी हिंदी शिक्षण, पटकथा लेखन, प्रूफ़ रीडिंग, आदि विभागीय अध्ययन-अध्यापन के केंद्र में हैं।
महत्वपूर्ण जानकारी:
पाठ्यक्रम: एम. ए. एवं पीएच.डी.
पाठ्यक्रम का उद्देश्य साहित्य के विविध आयामों के प्रति समझ विकसित करना एवं समसामयिक विषय बोध को विकसित करते हुए रोजगारोन्मुखी बनाना है। साहित्य, सिनेमा, लोक संस्कृति, अनुवाद, व्यवहारिक हिंदी के साथ-साथ शोध आदि पर बल, लेखन कला आदि पर विशेष ध्यान।
सीट/इनटेक: एम.ए.: 22, पीएच.ड़ी. : 04
विभाग की स्थापन: 18 जनवरी 2018