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Ranchi Sept 14,2016 :
हिन्दी हमारी अस्मिता और पहचान की भाषा है – डा. महुआ मांझी
हिन्दी हमारी अस्मिता और पहचान की भाषा है। अपनी भाषा से दूर जाना दरअसल भारतीय मूल्यों और संस्कृति से दूर जाना है। हम पश्चिमी देशों की नकल कर रहे हैं जबकि हिन्दी दुनिया की सबसे वैज्ञानिक भाषा है। जैसी लिखी जाती है वैसी ही बोली जाती है। हिन्दी के विकास के लिए अन्य भाषाओं से हिन्दी में अनुवाद भी आवश्यक है। - झारखंड महिला आयोग की अध्यक्ष एवं प्रख्यात साहित्यकार डा. महुआ मांझी ने झारखंड विश्वविद्यालय में हिन्दी दिवस के अवसर पर बोलते हुए यह कहा। उन्होंने आगे कहा कि अचरज की बात तो ये है कि फिल्मों के हीरो और हीरोइन हिन्दी फिल्मों के बूते इतनी शोहरत, पैसा और सम्मान हासिल करते हैं लेकिन जब उनसे कोई पत्रकार साक्षात्कार लेता है तो वे केवल अंग्रेजी में बोलकर ऐसा जताते हैं कि उनकों हिन्दी आती ही नहीं है।
झारखंड केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति डा. नंद कुमार यादव इंदू ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि दुनियाभर में अनेक देशों जैसे जर्मनी, चीन, जापान, तुर्की, रूस इत्यादि में लोग अपनी भाषा में ही काम करते हैं। अपनी भाषा के बिना विज्ञान एवं तकनीक में उन्नति असंभव है। अंग्रेजी की मैली चादर को किनारे कर, स्वभाषा के प्रति गौरव भाव जगाना होगा। भारत के बहुसंख्यक लोगों तक पहुंचना है तो स्वभाषा को अपनाना पड़ेगा।
समारोह के विशिष्ट अतिथि, रांची विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के प्रो. वी. वी. एन. पांडेय ने कहा कि अब दक्षिण भारत में भी लोग हिन्दी सीख रहे हैं। राजसत्ता की ताकत से देश में अंग्रेजी को लागू किया गया है। जबकि हिन्दी अपने बल पर आगे बढ़ती जा रही है। हिन्दी भारतीय जीवन का सच है। किसी भी भाषा के विकास के लिए राजसत्ता और जनसत्ता को एक साथ आना जरूरी है।
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हिन्दी पखवाड़ा के दौरान विद्यार्थियों, कर्मचारियों एवं शिक्षकों के लिए विभिन्न प्रतियोगिताएं आयोजित की गयी। इनमें टंकण प्रतियोगिता, भाषण प्रतियोगिता एवं लेख प्रतियोगिता शामिल हैं। समारोह में प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। विश्वविद्यालय के हिन्दी अधिकारी अब्दुल हलीम ने कार्यक्रम का संचालन किया। सहायक कुलसचिव कालीदास तिवारी ने धन्यवाद ज्ञापित किया।