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झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय,ब्रांबे हिन्दी दिवस के मौके पर झारखंड विश्वविद्यालय ब्रांबे के सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया
Ranchi, Sept 14, 2017: हिन्दी दिवस के मौके पर झारखंड विश्वविद्यालय ब्रांबे के सभागार में कार्यक्रम आयोजित किया गया जिसमें प्रो .कुलपति नंद कुमार यादव,प्रति कुलपति प्रो वी के दास व टीएमबी कॉलेज भागलपुर के सेवानिवृति हिंदी के प्रोफेसर नृपेंद्र प्रसाद वर्मा बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए संबोधन के दौरान कुलपति ने अगले वर्ष से विवि में हिंदी विभाग पूरी तरह से स्थापित होगा इसका भरोसा दिलाया साथ हीं उऩ्होंने कहा कि वो जब विवि से जुड़े थे तब विवि में संवाद का माध्यम अंग्रेजी थी जिससे उन्हें काफि दुख पहुंचा कि हिंदी प्रदेश में हिंदी की उपेक्षा सही नहीं है जिसके बाद उन्होंने परिसर में हिंदी के प्रयोग पर ज्यादा जोर दिया संबोधन के दौरान भी उन्होंने कर्मचारियों से कहा कि वो व्यवसायिक और व्यवहारिक दोनों हीं स्थिति में हिंदी का प्रयोग ज्यादा करें युवाओं से उन्होंने अपील की वो हिंदी बोलने में शर्म की जगह गर्व का अनुभूती करें ताकि हिंदी का प्रसार समग्र हो सके कुलपति ने कहा कि तीस देशो का भ्रमण अबतक वो कर चुके हैं हर देश अपनी भाषा को समृद्ध और प्रसारित में जुटा है लेकिन भारत इसमें काफी पीछे छूट गया है जो दुखद है हिंदी के लिए सभी को एकजुटता के साथ आगे आने की जरूरत है कार्यक्रम में प्रतिकुलपति प्रो वी के दास ने कहा कि वो अंग्रेजी के प्रोफेसर जरूर हैं लेकिन उन्हें भावनात्मक लगाव सिर्फ हिंदी से है प्रतिकुलपति ने कहा कि अंग्रेजी उनके लिए सिर्फ रोजगार की भाषा है लेकिन हिंदी मेरी सम्मान की भाषा है उच्च शिक्षण संस्थानो में हिंदी के प्रसार की जरूरत है जिसके लिए अंग्रेजी ग्रंथो और साहित्यों को हिंदी में अनुवाद किया जाना चाहिए ताकि युवा हिंदी की महत्ता को समझ सके वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि और हिंदी के विद्वान प्रो नृपेंद्र प्रसाद वर्मा ने संबोधन में हिंदी के प्रसार पर विशेष जोर दिया उऩके मुताबिक हिंदी जोड़ने की भाषा है यदि राष्ट्रभाषा नहीं होती तो देश आज कई टुकड़ो में विखंडित हो जाता अच्छी अंग्रेजी जानते हुए भी जब व्यक्ति विशेष हिंदी बोलता है तो उस वक्त उसकी देशभक्ति झलकती है जिसे युवाओं को समझने की जरूरत है विवेकानंद ने भी शिकागो में हिंदी में दुनिया के सामने परचम लहराया है हिंदी के प्रति जो सम्मान होना चाहिए वो आज आजादी के सत्तर साल बाद भी नहीं हो पाया है जिसकी वजह से देश को सांस्कृतिक नुकसान हुआ है जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा हिंदी की सबसे बड़ी विशेषता है कि वो अपने अंदर विदेशी भाषा को भी समाहित कर लेती है उन्होंने हिंदी की मौजूदा हालात के लिए राजनेताओं को भी चिंतन करने की सलाह दी
हिंदी पखवाड़ा के दौरान केंद्रीय विश्वविद्यालय में कई प्रतियोगिताएं आयोजित की गई कार्यक्रम के दौरान विजेताओं को पुरूस्कृत किया गया विजेताओं के नाम इस प्रकार हैं -
1.हिन्दी टंकण प्रतियोगिता के विजेता - जमशेद अंसारी,महेंद्र रजवार,नीतिन कुमार
2.हिंदी निबंध प्रतियोगिता - रिमझिम सिंह,पूजा भारती,राजनंदनी
3.हिंदी टिप्पणी लेखन - नफीस अहमद खान,संदीप,महेंद्र रजवार
4.वाद विवाद प्रतियोगिता - अनीष रंजन,अमित कुमार झा,सुमित कुमार झा