Press Releases

Ranchi Aug 25,2015 :

अनकही शुरुआत:  झारखण्ड केंद्रीय विश्वविद्यालय में भीष्म साहनी की कहानियों "अमृतसर आ गया है" और "चीफ की दावत" के नाट्य रूपांतरण का मंचन 

प्रख्यात लेखक भीष्म साहनी की दो कहानियों "अमृतसर आ गया है" और "चीफ की दावत" के नाट्य रूपांतरण का मंचन झारखण्ड केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रेक्षागृह में हुआ. सेंटर फॉर परफार्मिंग आर्ट्स में सहायक व्याखाता शाकिर तस्नीम  का निर्देशन बदलते  भारत की भावनाओं का समसायिक रूपांतरण करता है  "अमृतसर आ गया है" विभाजन की त्रासदी का मार्मिक रूपांतरण है जो चलती ट्रेन की मुसाफिरों की भावनाओं के माध्यम से धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करती है. मोहित मोहन का भावबिभोर कर देने वाला अभिनय कहानी में नयी जान फूंक देता है. "चीफ की दावत" कहानी बाजारवादी समाज में गिरते मूल्यों का एहसास कराती है जिसमे मुख्य पात्र अपने बॉस को खुश करने के  लिए अपनी माँ तक का अपमान करता है।  शाकिर तस्नीम और रौशन कुमार का अभिनय दर्शकों की नाटक में रोचकता बनायें रखता है।  

 

इस अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि झारखण्ड केंद्रीय विश्वविद्यालय  के कुलपति प्रोफ. नंद कुमार कुमार यादव  'इंदु' ने अपने उद्बोधन में कहा कि नाटक समाज का आइना होता है जो व्यक्ति और समाज का सच सामने लाकर विकास की नयी दिशा और दशा तय करता है.  उन्होंने  कहानियों के नाट्य रूपांतरण की भूरि-भूरि प्रशंसा की।   प्रकाश संयोजन वेंकट नरेश बुरला, छायांकन में रोहित कुमार , नवनीत और परवेज रहमान का था ।  मंचन में सेंटर फॉर परफार्मिंग आर्ट्स के सभी अध्यापकों और छात्रों का  भी सहयोग रहा।

.