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फिल्म निर्माता नितिन चन्द्रा से रूबरू हुए सीयूजे के मीडिया छात्र
Ranchi, Aug 09,2016:
झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय के जनसंचार केंद्र में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से नवाजे गए युवा निर्माता नितिन चन्द्रा ने फिल्म निर्माण और भाषा पर व्याख्यान दिया। विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज बिहार और झारखंड की स्थानीय भाषाएं लुप्त हो रही हैं। इसके लिए हम खुद ही जिम्मेदार हैं। यहां लोगों ने अपनी घरेलू भाषाओं को छोडकर या तो हिंदी या फिर अंगे्रजी को अपना लिया है।
रांची के जागरण फिल्म महोत्सव में प्रदर्शित मैथिली फिल्म मिथिला मखान के निर्माता नितिन ने बिहार और झारखंड की सिनेमा का हवाला देते हुए कहा कि आज भोजपुरी, मैथिली, अंगिका, नागपुरी, खोरठा और संथाली भाषाओं में स्तरीय फिल्में नगण्य हैं। जो फिल्में बन भी रही हैं, वो फूहड हैं और उन्हें परिवार के साथ बैठकर नहीं देखा जा सकता। यहां का समाज पूरी तरह से हिन्दी फिल्मों की चपेट में आ चुका है। ऐसे में स्थानीय भाषाओं को सहेजना काफी मुश्किल हो गया है।
मिथिला मखान और देसवा जैसी चर्चित फिल्म के निर्माता ने बताया कि हमें बांग्ला, मराठी, तमिल, तेलुगू, कन्नड, गुजराती और असमिया फिल्मों से सीखने की जरूरत है। उनकी फिल्मों ने देश विदेश में अपनी पहचान बनाई है और राष्ट्रीय अंतरराट्रीय स्तर पर कई पुरस्कार बटोरे हैं। उन्हें अपनी भाषाओं पर गर्व है। यही कारण है कि वे बेहतरीन फिल्मों का निर्माण कर रहे हैं। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि बिहार और झारखंड में फिल्म के स्तर को उंचा उठाने के लिए यहां की भाषाओं से जुडना जरूरी है।
इस अवसर जनसंचार केंद्र के अध्यक्ष डा. देवव्रत सिंह, जनजातीय लोककथा, भाषा और साहित्य के अध्यक्ष डा. रवींद्रनाथ शर्मा, शिक्षक सुधांशु शेखर, राजेश कुमार, डा. परमवीर सिंह, डा. रजनेश पांडे और कुणाल आनंद सहित विभिन्न केंद्रों के अनेक विद्यार्थी मौजूद थे।