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परिचय

भारत के राष्ट्रपति ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 को स्वीकृति दी जिसमें विभिन्न राज्यों में शिक्षा तथा शोध के ‍लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की परिकल्पना की गर्इ।

इस अधिनियम के तहत 1 मार्च, 2009 को झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय सार्वभोम हुआ । केन्द्रीय विश्वविद्यालय झारखण्ड की विजिटर महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक और विशिष्ट शैक्षणिक प्रशासक डॉ. डारलैंडों टी. खातिंग को विश्वविद्यालय का प्रथम कुलपति नियुक्त किया ।

झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्याल सामयिक तकनीकों से संबंधित क्षेत्रों में शोध पर ध्यान केन्द्रित करेगा । झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना 1 मार्च, 2009 का भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित केन्द्रीय विश्चविद्यालय अधिनियम, 2009 के अधीन किया गया । उपरोक्त अधिनियम के माध्यम से विभिन्न राज्यों में शिक्षा तथा शोध के लिए विश्वविद्यालय की स्थापना की गर्इ ।

दृष्टि

विश्वविद्यालय को हर तरह से विश्व स्तर का बनाना है चाहे वह शोध, शिक्षण, प्रशासन या सह- क्रियाकलाप का स्तर हो, ऐसे विद्यार्थी तैयार करना जो अपने चुने हुए क्षेत्र में सम्मान एवं सच्चार्इ के साथ बेहतर कर सके ।

उद्देश्य एवं कार्य क्षेत्र

विश्वविद्यालय का उद्देश्य हैः-

    1. विभिन्न विषयों में शोध एवं शैक्षणिक सुविधाओं के द्वारा ज्ञान का फैलाना एवं लोगों तक पहुँचाना ।
    2. निम्नलिखित एकीकृत कोर्स के लिए विशेष प्रावधान करना
      1. मानविकी
      2. सामाजिक विज्ञान
      3. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
    3. पठन-पाठन प्रक्रिया और अन्तर्विशयों के अध्ययन में नवीन प्रवर्तन को बढ़ाना ।
    4. देश के विकास के लिए मानव-शक्ति को शिक्षा प्रदान करना और प्रशिक्षित करना ।
    5. विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने के लिए उद्योगों के साथ सम्पर्क स्थापित करना ।
    6. लोगों के सामाजिक और आर्थिक दशाओं में सुधार हेतु विशेष ध्यान देना, उनके बौद्धिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक विकास हेतु कार्य करना ।
    7. लोगों के सामाजिक, आर्थिक परिस्थितियों एवं सांस्कृतिक कल्याण, बौद्धिक एवं शैक्षणिक विकास हेतु विशेष ध्यान देना ।

ध्येयः ज्ञान से बुद्धि

विद्यार्थी गण ज्ञान अर्जित करने के लिए उच्च शिक्षा के पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेते हैं । झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय में हम उस ज्ञान को बुद्धि में बदलने के लिए कड़ी नत करते हैं ताकि अंततः समाज को एक ऐसा उपयोगी नागरिक मिल सके जो उसके भाग्य को बदल दे और उसे सही दिशा दे सके ।

प्रतीक चिह्न

झारखण्ड केन्द्रीय विश्वविद्यालय की पहचान निर्धारित करने की प्रक्रिया में विश्वविद्यालय के प्रतीक चिह्न का विशेष स्थान है । विश्वविद्यालय के नाम को घेरे हुए जो वक्र चिह्न है वह आदर्श परम्परा को दर्शाता है । बरगद का पेड़ ज्ञान, प्रबोधन और इसका विस्तार हमारे देश के सदैव प्रगति करते युवाओं को दर्शाता है ।

दो पत्थर चरित्र की शक्ति और अटल सच्चार्इ का प्रतिनिधित्व करते हैं जो संयुक्त किए जाने पर भाद्धुता के माध्यम से दृढ़ उत्कृष्टता का प्रतीक है ।

झारखण्ड का अर्थ गहन वन का क्षेत्र यानी झाड़ का क्षेत्र है । बरगद का पेड़ स्थानीय सामाजिक संदर्भ के प्रति हमारी मानववादी दृष्टिकोण में समाविष्ट का प्रतीक है ।

 

प्रतीक चिह्न के रंगः

प्रतीक चिह्नों में तीनों रंगों का चयन प्राचीन उपनिशद् में रंगों के संदर्भ में कहीं गर्इ बातों के आधार पर किया गया है ।

हरा -   जीवन शक्ति तथा विकास द्योतक है ।

लाल (मरून) -   अस्तित्व तथा गति को बताता है ।

सुनहरा -   बलिदान तथा त्याग का प्रतिनिधित्व करता है ।